यह दम साधकर साँस लेने और साँस छोड़ने का समय है महराज !

“आप भी न कमाल करते हैं महराज... जब देखिये तब आमजन को उकसाते रहते है. काहें करते है ई सब...? 
आपको पता भी है कि आज के समय में सत्य बोलना और अपने अधिकारों की मांग करना कितना खतरनाक है. इसके लिए आपके उपर देशद्रोह का मुकदमा भी ठोका जा सकता है. मुकदमा-उकदमा तो फिर भी ठीक है. इसमें कोर्ट-कचहरी में बार-बार पेशी होगी और ज्यादा से ज्यादा जेल हो सकती है, लेकिन इस दौरान यदि आप सरकार बहादुर के कवनो गैंग के हत्थे चढ़ गए तो समझिये आपका फैसला ऑन द स्पॉट तय है. जानकारी के लिए बता दे बिना कुछ कहे सुने कूंच-कूंच के कचूमर निकालते हैं उ सब आप जैसे लोगों का. दावा तो नहीं करते हम लेकिन कहीं न कहीं वे सरकार से इस काम के लिए लाइसेंस जरुर लिए होंगे. क्योंकि बिना लाइसेंस के आज के जमाने में कुछ भी करना असम्भव है. इसीलिए हम आप से कहते है कि अपने इस चेले की बात पर गौर फरमाइए और भगवान का भजन करते हुए अपने ज्ञान को यथार्थ के मोह से निकलकर आदर्श का आवरण चढ़ाते हुए सुबह-दोपहर-शाम पौष्टिक भोग लगाकर अध्यात्म के लिए ध्यान लगाते रहिये, क्योंकि यह दम साधकर सांस लेने और सांस छोड़ने का समय है महराज..!”



यह खेल खत्म करों कश्तियाँ बदलने का (आदिवासी विमर्श सपने संघर्ष और वर्तमान समय)

“सियाह रात नहीं लेती नाम ढ़लने का यही वो वक्त है सूरज तेरे निकलने का कहीं न सबको संमदर बहाकर ले जाए ये खेल खत्म करो कश्तियाँ बदलने...